नफरतों के शहर में चालाकियों के डेरे हैं! प्यार से नफरत शायरी, गिला शिकवा << ये भी एक तमाशा है इश्क और... दुनिया की क्या मजाल देता ... >> नफरतों के शहर में चालाकियों के डेरे हैं!यहाँ वो लोग रहते हैं जो तेरे मुँह पर तेरे हैं और मेरे मुँह पर मेरे हैं! Share on: